राजस्थान से बांग्लादेश भेजे गए मजदूर आमिर शेख की वापसी, BSF ने कोर्ट में कहा- 'गलती से पार की थी सीमा'

राजस्थान पुलिस की ओर से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की मदद से पश्चिम बंगाल के मालदा के प्रवासी मजदूर आमिर शेख को कथित तौर पर बांग्लादेश भेजे जाने के करीब डेढ़ महीने बाद सुरक्षा बलों ने मंगलवार (12 अगस्त, 2025) को ‘लापता’ मजदूर को सीमावर्ती उत्तर 24 परगना जिले में बशीरहाट पुलिस को सौंप दिया. हालांकि, बुधवार (13 अगस्त, 2025) को कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष बीएसएफ ने कहा कि उसने आमिर को पकड़ा है, जब वह बिना वैध कागजात के वापस आने की कोशिश कर रहा था. बीएसएफ ने दावा किया कि वह पूर्व में गलती से पड़ोसी देश चला गया था. हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर हाई कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त लोक अभियोजक की इस दलील पर गौर किया कि यदि आमिर के पिता पुलिस अधिकारियों से संपर्क करते हैं तो सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने पर उन्हें सौंप दिया जाएगा. आमिर के पिता जियाम शेख ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उनके बेटे को पहले राजस्थान में राज्य पुलिस की ओर से गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया, जहां वह कुछ महीने पहले काम की तलाश में गया था और बाद में उसे बांग्लादेशी बताकर सीमा पार भेज दिया गया. पहचान सत्यापन अभियान याचिका के अनुसार, मालदा के कालियाचक निवासी 19 वर्षीय आमिर 3 अप्रैल को आजीविका की तलाश में ओडिशा के पारादीप और फिर राजस्थान के सीकर चला गया. वह राजस्थान में मजदूर के रूप में काम करता था. राजस्थान पुलिस के अधिकारियों ने 25 जून को बीएसएफ कर्मियों के साथ, आमिर के कार्यस्थल पर एक पहचान सत्यापन अभियान चलाया और उसे जबरन हिरासत में ले लिया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसे सीकर के बाहर एक हिरासत केंद्र में रखा गया था, 28 जून को उसे बांग्लादेश भेज दिया गया. इस बीच, हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान उप सॉलिसिटर जनरल राजदीप मजूमदार ने कहा कि बीएसएफ ने एक रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि आमिर अनजाने में सीमा पार कर बांग्लादेश चला गया था और बिना किसी वैध कागजात के भारत वापस आते समय उसे पकड़ लिया गया. सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत को सूचित मजूमदार ने जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस रीतोब्रतो कुमार मित्रा की खंडपीठ के समक्ष कहा कि इसके बाद आमिर को बशीरहाट में स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया. पीठ ने बीएसएफ का प्रतिनिधित्व कर रहे मजूमदार को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे पर आगे की जानकारी प्राप्त करें और सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत को सूचित करें. बीएसएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसने पुलिस से आमिर शेख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था, क्योंकि वह कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका. राज्य के वकील ने अदालत में दलील दी कि अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिका के साथ आमिर शेख के जन्म प्रमाण पत्र की एक प्रति संलग्न की गई है, जिसमें कहा गया है कि वह भारत का नागरिक है और मालदा जिले के कालियाचक का निवासी है. ये भी पढ़ें:- '2800 आवारा कुत्तों को जहर देकर मरवाया', कर्नाटक MLC भोजेगौड़ा का चौंकाने वाला बयान

Aug 14, 2025 - 00:30
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राजस्थान से बांग्लादेश भेजे गए मजदूर आमिर शेख की वापसी, BSF ने कोर्ट में कहा- 'गलती से पार की थी सीमा'

राजस्थान पुलिस की ओर से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की मदद से पश्चिम बंगाल के मालदा के प्रवासी मजदूर आमिर शेख को कथित तौर पर बांग्लादेश भेजे जाने के करीब डेढ़ महीने बाद सुरक्षा बलों ने मंगलवार (12 अगस्त, 2025) को ‘लापता’ मजदूर को सीमावर्ती उत्तर 24 परगना जिले में बशीरहाट पुलिस को सौंप दिया.

हालांकि, बुधवार (13 अगस्त, 2025) को कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष बीएसएफ ने कहा कि उसने आमिर को पकड़ा है, जब वह बिना वैध कागजात के वापस आने की कोशिश कर रहा था. बीएसएफ ने दावा किया कि वह पूर्व में गलती से पड़ोसी देश चला गया था.

हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त लोक अभियोजक की इस दलील पर गौर किया कि यदि आमिर के पिता पुलिस अधिकारियों से संपर्क करते हैं तो सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने पर उन्हें सौंप दिया जाएगा.

आमिर के पिता जियाम शेख ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उनके बेटे को पहले राजस्थान में राज्य पुलिस की ओर से गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया, जहां वह कुछ महीने पहले काम की तलाश में गया था और बाद में उसे बांग्लादेशी बताकर सीमा पार भेज दिया गया.

पहचान सत्यापन अभियान

याचिका के अनुसार, मालदा के कालियाचक निवासी 19 वर्षीय आमिर 3 अप्रैल को आजीविका की तलाश में ओडिशा के पारादीप और फिर राजस्थान के सीकर चला गया. वह राजस्थान में मजदूर के रूप में काम करता था. राजस्थान पुलिस के अधिकारियों ने 25 जून को बीएसएफ कर्मियों के साथ, आमिर के कार्यस्थल पर एक पहचान सत्यापन अभियान चलाया और उसे जबरन हिरासत में ले लिया.

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसे सीकर के बाहर एक हिरासत केंद्र में रखा गया था, 28 जून को उसे बांग्लादेश भेज दिया गया. इस बीच, हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान उप सॉलिसिटर जनरल राजदीप मजूमदार ने कहा कि बीएसएफ ने एक रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि आमिर अनजाने में सीमा पार कर बांग्लादेश चला गया था और बिना किसी वैध कागजात के भारत वापस आते समय उसे पकड़ लिया गया.

सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत को सूचित

मजूमदार ने जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस रीतोब्रतो कुमार मित्रा की खंडपीठ के समक्ष कहा कि इसके बाद आमिर को बशीरहाट में स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया. पीठ ने बीएसएफ का प्रतिनिधित्व कर रहे मजूमदार को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे पर आगे की जानकारी प्राप्त करें और सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत को सूचित करें.

बीएसएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसने पुलिस से आमिर शेख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था, क्योंकि वह कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका. राज्य के वकील ने अदालत में दलील दी कि अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिका के साथ आमिर शेख के जन्म प्रमाण पत्र की एक प्रति संलग्न की गई है, जिसमें कहा गया है कि वह भारत का नागरिक है और मालदा जिले के कालियाचक का निवासी है.

ये भी पढ़ें:- '2800 आवारा कुत्तों को जहर देकर मरवाया', कर्नाटक MLC भोजेगौड़ा का चौंकाने वाला बयान

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