मिसाइल और टैंक हो गए पुराने! अब इस तकनीकी हथियार से लड़ी जा रही जंग, क्या शुरू होने वाला है तीसरा विश्व युद्ध?

Drones in War: 21वीं सदी में युद्ध का चेहरा पूरी तरह बदल चुका है. जहां पहले जंगों में मिसाइलें, टैंक और फाइटर जेट्स का बोलबाला था, वहीं अब ड्रोन युद्धों के सबसे खतरनाक और प्रभावशाली हथियार बन चुके हैं. ये छोटे लेकिन घातक ड्रोन अब दुश्मन को चुपचाप निशाना बनाते हैं और भारी तबाही मचाते हैं वो भी बिना किसी सैनिक के जान गंवाए. क्यों खतरनाक हैं ड्रोन? ड्रोन की सबसे बड़ी ताकत है उनकी गोपनीयता और सटीकता. ये रडार से बच निकलते हैं, बेहद कम आवाज करते हैं और सटीक निशाने पर वार करते हैं. सिर्फ निगरानी के लिए ही नहीं, बल्कि अब तो ये बम गिराने, मिसाइल लॉन्च करने और आत्मघाती हमले करने में भी सक्षम हो चुके हैं. 2022 से लेकर अब तक रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन की ताकत ने दुनिया को चौंका दिया. छोटे-सस्ते ड्रोन लाखों डॉलर की मिसाइल डिफेंस सिस्टम को मात दे रहे हैं. यही कारण है कि अब हर देश अपनी सेना में ड्रोन तकनीक को तेजी से शामिल कर रहा है. मिसाइलें हुईं पुराने जमाने की बात? मिसाइलें आज भी युद्ध का अहम हिस्सा हैं लेकिन उनकी लागत, संचालन और मानव खतरे को देखते हुए ड्रोन को अब ज़्यादा प्राथमिकता दी जा रही है. जहां एक आधुनिक मिसाइल सिस्टम करोड़ों में पड़ता है, वहीं ड्रोन बहुत कम लागत में समान असर दिखा सकते हैं. ड्रोन सिर्फ हमला करने में ही नहीं, बल्कि रियल टाइम इंटेलिजेंस, सर्विलांस और बॉर्डर पेट्रोलिंग में भी सेना की आंख और कान बन चुके हैं. यही कारण है कि अमेरिका, चीन, रूस, भारत, तुर्की और इज़राइल जैसे देश अब ड्रोन टेक्नोलॉजी में अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं. क्या ये तीसरे विश्व युद्ध की आहट है? ड्रोन युद्ध तकनीक का यह बदलाव दुनिया को एक नए तरह की जंग की ओर ले जा रहा है. जब कोई देश बिना जमीनी सेना भेजे, सिर्फ ड्रोन और AI तकनीक से हमला कर सकता है, तो सीमा संघर्ष और साइबर युद्ध जैसे खतरों का खतरा कहीं ज़्यादा बढ़ जाता है. इज़राइल-गाज़ा संघर्ष से लेकर यूक्रेन तक, ड्रोन अब युद्ध की पहली पंक्ति में खड़े हैं. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तकनीकी तनाव, और AI आधारित हथियारों की दौड़ ये सब संकेत दे रहे हैं कि तीसरा विश्व युद्ध परंपरागत नहीं, बल्कि तकनीकी होगा. यह भी पढ़ें: इतना सस्ता iPhone 15 Plus पहले कभी नहीं हुआ! यहां 25 हजार रुपये में खरीदने का मौका,जल्दी पढ़ लीजिए डिटेल्स

Jun 11, 2025 - 16:30
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मिसाइल और टैंक हो गए पुराने! अब इस तकनीकी हथियार से लड़ी जा रही जंग, क्या शुरू होने वाला है तीसरा विश्व युद्ध?

Drones in War: 21वीं सदी में युद्ध का चेहरा पूरी तरह बदल चुका है. जहां पहले जंगों में मिसाइलें, टैंक और फाइटर जेट्स का बोलबाला था, वहीं अब ड्रोन युद्धों के सबसे खतरनाक और प्रभावशाली हथियार बन चुके हैं. ये छोटे लेकिन घातक ड्रोन अब दुश्मन को चुपचाप निशाना बनाते हैं और भारी तबाही मचाते हैं वो भी बिना किसी सैनिक के जान गंवाए.

क्यों खतरनाक हैं ड्रोन?

ड्रोन की सबसे बड़ी ताकत है उनकी गोपनीयता और सटीकता. ये रडार से बच निकलते हैं, बेहद कम आवाज करते हैं और सटीक निशाने पर वार करते हैं. सिर्फ निगरानी के लिए ही नहीं, बल्कि अब तो ये बम गिराने, मिसाइल लॉन्च करने और आत्मघाती हमले करने में भी सक्षम हो चुके हैं.

2022 से लेकर अब तक रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन की ताकत ने दुनिया को चौंका दिया. छोटे-सस्ते ड्रोन लाखों डॉलर की मिसाइल डिफेंस सिस्टम को मात दे रहे हैं. यही कारण है कि अब हर देश अपनी सेना में ड्रोन तकनीक को तेजी से शामिल कर रहा है.

मिसाइलें हुईं पुराने जमाने की बात?

मिसाइलें आज भी युद्ध का अहम हिस्सा हैं लेकिन उनकी लागत, संचालन और मानव खतरे को देखते हुए ड्रोन को अब ज़्यादा प्राथमिकता दी जा रही है. जहां एक आधुनिक मिसाइल सिस्टम करोड़ों में पड़ता है, वहीं ड्रोन बहुत कम लागत में समान असर दिखा सकते हैं.

ड्रोन सिर्फ हमला करने में ही नहीं, बल्कि रियल टाइम इंटेलिजेंस, सर्विलांस और बॉर्डर पेट्रोलिंग में भी सेना की आंख और कान बन चुके हैं. यही कारण है कि अमेरिका, चीन, रूस, भारत, तुर्की और इज़राइल जैसे देश अब ड्रोन टेक्नोलॉजी में अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं.

क्या ये तीसरे विश्व युद्ध की आहट है?

ड्रोन युद्ध तकनीक का यह बदलाव दुनिया को एक नए तरह की जंग की ओर ले जा रहा है. जब कोई देश बिना जमीनी सेना भेजे, सिर्फ ड्रोन और AI तकनीक से हमला कर सकता है, तो सीमा संघर्ष और साइबर युद्ध जैसे खतरों का खतरा कहीं ज़्यादा बढ़ जाता है.

इज़राइल-गाज़ा संघर्ष से लेकर यूक्रेन तक, ड्रोन अब युद्ध की पहली पंक्ति में खड़े हैं. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तकनीकी तनाव, और AI आधारित हथियारों की दौड़ ये सब संकेत दे रहे हैं कि तीसरा विश्व युद्ध परंपरागत नहीं, बल्कि तकनीकी होगा.

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