पैंक्रियाटिक कैंसर का कारण बन रही है शराब, जानें बचाव के तरीके और शुरुआती लक्षण
Pancreatic Cancer Symptoms: दुनिया में कुछ बीमारियां इतनी खतरनाक होती हैं कि उनके बारे में सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. पैनक्रियाटिक कैंसर उन्हीं में से एक है, जिसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है.यह बीमारी अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे शरीर में बढ़ती रहती है. हाल ही में अमेरिका के मियामी में हुए एक शोध ने चेतावनी दी है कि, नियमित और अधिक मात्रा में शराब पीना इस जानलेवा बीमारी का खतरा कई गुना बढ़ा सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि, उन्होंने इस बीमारी के पीछे का एक बड़ा कारण और उसे रोकने का संभावित तरीका खोज लिया है. ये भी पढ़े- डाइट सोडा रोजाना पीना पड़ सकता है भारी, तीन गुना बढ़ जाता है इन दो खौफनाक बीमारियों का खतरा शराब और पैनक्रियास पर पड़ने वाला असर शोध में पाया गया कि ज्यादा मात्रा में शराब पीने से पैनक्रियास की वे कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जो पाचन एंजाइम बनाती हैं. इस नुकसान से अंग में सूजन हो जाती है. पैनक्रियास भोजन को पचाने और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जब इसमें लगातार सूजन बनी रहती है, तो यह प्री-कैंसरस घाव में बदल सकता है, जो आगे चलकर पैनक्रियाटिक कैंसर का रूप ले सकता है. कैसे बढ़ता है कैंसर का खतरा? वैज्ञानिकों के अनुसार, कैंसर बनने के लिए केवल सूजन ही नहीं, बल्कि एक खास जीन में बदलाव भी जरूरी है. यह जीन कोशिकाओं की वृद्धि को नियंत्रित करता है. प्रयोगों में पाया गया कि जब शराब और एक प्रो-इंफ्लेमेटरी मिलता है तो यह शराब से होने वाले पैनक्रियाटाइटिस जैसे लक्षण पैदा करता है, जिससे कैंसर बन सकता है. ‘मास्टर कंट्रोलर’ जीन की खोज शोधकर्ताओं ने पाया कि, एक और जीन CREB इस पूरी प्रक्रिया में ‘मास्टर कंट्रोलर’ की तरह काम करता है. यह स्वस्थ पैनक्रियास कोशिकाओं को स्थायी रूप से असामान्य और प्री-कैंसरस कोशिकाओं में बदल देता है. जब इस जीन को निष्क्रिय किया गया, तो पैनक्रियास में प्री-कैंसर और कैंसर के घाव बनने बंद हो गए. किन लोगों को ज्यादा खतरा? 65 साल से अधिक उम्र के लोग जिनके परिवार में पैनक्रियाटिक कैंसर का इतिहास है क्रॉनिक पैनक्रियाटाइटिस के मरीज धूम्रपान करने वाले, अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त लोग डायबिटीज के मरीज रेड और प्रोसेस्ड मीट का अधिक सेवन करने वाले O, A, B, AB ब्लड ग्रुप के आधार पर भी जोखिम भिन्न हो सकता है शुरुआती लक्षण कैसे दिखते हैं अचानक वजन कम होना लगातार थकान पेट में दर्द पाचन संबंधी बदलाव त्वचा और आंखों का पीला होना इसे भी पढ़ें- IBS और कोलन कैंसर में क्या होता है अंतर? एक जैसे लक्षण कर देते हैं कंफ्यूज Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Pancreatic Cancer Symptoms: दुनिया में कुछ बीमारियां इतनी खतरनाक होती हैं कि उनके बारे में सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. पैनक्रियाटिक कैंसर उन्हीं में से एक है, जिसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है.यह बीमारी अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे शरीर में बढ़ती रहती है.
हाल ही में अमेरिका के मियामी में हुए एक शोध ने चेतावनी दी है कि, नियमित और अधिक मात्रा में शराब पीना इस जानलेवा बीमारी का खतरा कई गुना बढ़ा सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि, उन्होंने इस बीमारी के पीछे का एक बड़ा कारण और उसे रोकने का संभावित तरीका खोज लिया है.
ये भी पढ़े- डाइट सोडा रोजाना पीना पड़ सकता है भारी, तीन गुना बढ़ जाता है इन दो खौफनाक बीमारियों का खतरा
शराब और पैनक्रियास पर पड़ने वाला असर
शोध में पाया गया कि ज्यादा मात्रा में शराब पीने से पैनक्रियास की वे कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जो पाचन एंजाइम बनाती हैं. इस नुकसान से अंग में सूजन हो जाती है. पैनक्रियास भोजन को पचाने और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जब इसमें लगातार सूजन बनी रहती है, तो यह प्री-कैंसरस घाव में बदल सकता है, जो आगे चलकर पैनक्रियाटिक कैंसर का रूप ले सकता है.
कैसे बढ़ता है कैंसर का खतरा?
वैज्ञानिकों के अनुसार, कैंसर बनने के लिए केवल सूजन ही नहीं, बल्कि एक खास जीन में बदलाव भी जरूरी है. यह जीन कोशिकाओं की वृद्धि को नियंत्रित करता है. प्रयोगों में पाया गया कि जब शराब और एक प्रो-इंफ्लेमेटरी मिलता है तो यह शराब से होने वाले पैनक्रियाटाइटिस जैसे लक्षण पैदा करता है, जिससे कैंसर बन सकता है.
‘मास्टर कंट्रोलर’ जीन की खोज
शोधकर्ताओं ने पाया कि, एक और जीन CREB इस पूरी प्रक्रिया में ‘मास्टर कंट्रोलर’ की तरह काम करता है. यह स्वस्थ पैनक्रियास कोशिकाओं को स्थायी रूप से असामान्य और प्री-कैंसरस कोशिकाओं में बदल देता है. जब इस जीन को निष्क्रिय किया गया, तो पैनक्रियास में प्री-कैंसर और कैंसर के घाव बनने बंद हो गए.
किन लोगों को ज्यादा खतरा?
- 65 साल से अधिक उम्र के लोग
- जिनके परिवार में पैनक्रियाटिक कैंसर का इतिहास है
- क्रॉनिक पैनक्रियाटाइटिस के मरीज
- धूम्रपान करने वाले, अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त लोग
- डायबिटीज के मरीज
- रेड और प्रोसेस्ड मीट का अधिक सेवन करने वाले
- O, A, B, AB ब्लड ग्रुप के आधार पर भी जोखिम भिन्न हो सकता है
शुरुआती लक्षण कैसे दिखते हैं
- अचानक वजन कम होना
- लगातार थकान
- पेट में दर्द
- पाचन संबंधी बदलाव
- त्वचा और आंखों का पीला होना
इसे भी पढ़ें- IBS और कोलन कैंसर में क्या होता है अंतर? एक जैसे लक्षण कर देते हैं कंफ्यूज
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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