दोनों हाथों की बीपी रीडिंग में आ रहा है अंतर, कौन सी मानी जाए सही?

आजकल अक्सर डॉक्टर मरीजों को सलाह देते हैं कि ब्लड प्रेशर (BP) दोनों हाथों में नापा जाए. कई रिसर्च में पाया गया है कि दोनों हाथों की रीडिंग में फर्क आ सकता है और यह फर्क हेल्थ दिक्कतों से जुड़ा हो सकता है. चलिए आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है और दोनों में अगर अंतर आ रहा है तो किसे सही माना जाए और क्यों. इसके अलावा क्या करना चाहिए.  दोनों हाथों से बीपी क्यों नापना चाहिए? अमेरिकन हार्ट असोसिएशन (AHA) की गाइडलाइन कहती है कि पहली बार जब भी ब्लड प्रेशर लिया जाए, तो दोनों हाथों में नापा जाए. हाल ही में प्रकाशित एक बड़े इंटरप्रेस-आईपीडी (INTERPRESS-IPD) मेटा-एनालिसिस में 50,000 से ज्यादा मरीजों पर स्टडी की गई. इसमें पाया गया कि अगर सिर्फ लोअर (कम) रीडिंग वाले हाथ को आधार बनाया जाए तो लगभग 12 प्रतिशत मामलों में गलत डायग्नोसिस हो सकता है. वहीं, हाई BP वाले हाथ को आधार बनाने से कार्डियोवैस्कुलर रिस्क का सही आकलन किया जा सकता है. कितना फर्क होना चिंता की बात है? प्राइमरी केयर सेटिंग्स में करीब 19 प्रतिशत  हाइपरटेंशन मरीजों में दोनों हाथों की सिस्टोलिक BP रीडिंग में 10 mmHg से ज्यादा का अंतर पाया गया. वहीं लगभग 7 प्रतिशत मरीजों में डायस्टोलिक BP में भी 10 mmHg से ज्यादा का फर्क देखा गया.  तमिलनाडु की एक स्टडी में इसे इस तरह कैटेगराइज़ किया गया: 5 mmHg से कम, सामान्य, 5 से 10 mmHg, लो रिस्क, 10 से 15 mmHg, मॉडरेट रिस्क, और 15 mmHg से ज्यादा हाई रिस्क. इससे जुड़ी परेशानियां टाइप-2 डायबिटीज मरीजों में अगर दोनों हाथों में 10 mmHg से ज्यादा का फर्क हो तो मौत का खतरा 64 प्रतिशत ज्यादा पाया गया. वहीं, जिन मरीजों में दोनों हाथों की BP रीडिंग में 15 mmHg से ज्यादा का फर्क था, उनमें सबक्लेवियन आर्टरी स्टेनोसिस, कम एंकल-ब्रैकियल इंडेक्स और हार्ट में ज्यादा इस्केमिया (खून की कमी) पाया गया. सही तरह से बीपी नापना क्यों जरूरी है नई स्टडीज़ बताती हैं कि सिर्फ हाथ का पोजीशन गलत होने से भी BP रीडिंग गलत हो सकती है. अगर हाथ नीचे लटक रहा हो या सपोर्ट न हो तो सिस्टोलिक BP औसतन 6.5 mmHg और डायस्टोलिक 4.4 mmHg तक बढ़ सकता है. सही तरीका है कि मरीज कुर्सी पर सीधे बैठे, पैर ज़मीन पर हों, पीठ को सपोर्ट हो और हाथ दिल की लेवल पर रखा जाए. अगर दोनों हाथों की BP रीडिंग में 10 mmHg या उससे ज्यादा का फर्क आ रहा है, तो डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए. हमेशा उस हाथ की रीडिंग को आधार बनाएं जिसमें BP ज्यादा है. यह दिल और ब्लड वेसल से जुड़ी बीमारियों के सही आकलन में मदद करता है. डॉक्टर क्या कहते हैं? डॉक्टरों का मानना है कि दोनों हाथों में ब्लड प्रेशर (BP) नापना बेहद जरूरी है. अक्सर लोग सिर्फ एक ही हाथ (आमतौर पर बायां हाथ) से BP चेक करते हैं, लेकिन मेडिकल गाइडलाइन कहती है कि पहली बार दोनों हाथों में मापना चाहिए. पटना स्थित ऑरो स्पेशिलिटी क्लीनिक की विशेषज्ञ डॉक्टर दीपा सिंह बताती हैं, "अगर दोनों हाथों की रीडिंग में 10 mmHg या उससे ज्यादा का फर्क है, तो यह परिफेरल आर्टरी डिज़ीज़, ब्लॉकेज या हार्ट डिसीज़ का संकेत हो सकता है. ऐसे में मरीज को तुरंत जांच करानी चाहिए." ब्रिटेन की इंटरप्रेस-आईपीडी (INTERPRESS-IPD) स्टडी में डॉक्टरों ने पाया कि अगर सिर्फ लोअर BP वाले हाथ की रीडिंग को आधार बनाया जाए, तो 12 प्रतिशत मरीजों का गलत डायग्नोसिस हो सकता है. इसलिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि जिस हाथ में BP ज्यादा हो, उसी को रेफरेंस मानकर आगे मॉनिटर करना चाहिए. इसे भी पढ़ें- ये 10 लक्षण दिखें तो समझ जाएं खून की धमनियां हो रहीं ब्लॉक, तुरंत भागें डॉक्टर के पास Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Sep 4, 2025 - 15:30
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दोनों हाथों की बीपी रीडिंग में आ रहा है अंतर, कौन सी मानी जाए सही?

आजकल अक्सर डॉक्टर मरीजों को सलाह देते हैं कि ब्लड प्रेशर (BP) दोनों हाथों में नापा जाए. कई रिसर्च में पाया गया है कि दोनों हाथों की रीडिंग में फर्क आ सकता है और यह फर्क हेल्थ दिक्कतों से जुड़ा हो सकता है. चलिए आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है और दोनों में अगर अंतर आ रहा है तो किसे सही माना जाए और क्यों. इसके अलावा क्या करना चाहिए. 

दोनों हाथों से बीपी क्यों नापना चाहिए?

अमेरिकन हार्ट असोसिएशन (AHA) की गाइडलाइन कहती है कि पहली बार जब भी ब्लड प्रेशर लिया जाए, तो दोनों हाथों में नापा जाए. हाल ही में प्रकाशित एक बड़े इंटरप्रेस-आईपीडी (INTERPRESS-IPD) मेटा-एनालिसिस में 50,000 से ज्यादा मरीजों पर स्टडी की गई. इसमें पाया गया कि अगर सिर्फ लोअर (कम) रीडिंग वाले हाथ को आधार बनाया जाए तो लगभग 12 प्रतिशत मामलों में गलत डायग्नोसिस हो सकता है. वहीं, हाई BP वाले हाथ को आधार बनाने से कार्डियोवैस्कुलर रिस्क का सही आकलन किया जा सकता है.

कितना फर्क होना चिंता की बात है?

प्राइमरी केयर सेटिंग्स में करीब 19 प्रतिशत  हाइपरटेंशन मरीजों में दोनों हाथों की सिस्टोलिक BP रीडिंग में 10 mmHg से ज्यादा का अंतर पाया गया. वहीं लगभग 7 प्रतिशत मरीजों में डायस्टोलिक BP में भी 10 mmHg से ज्यादा का फर्क देखा गया.  तमिलनाडु की एक स्टडी में इसे इस तरह कैटेगराइज़ किया गया: 5 mmHg से कम, सामान्य, 5 से 10 mmHg, लो रिस्क, 10 से 15 mmHg, मॉडरेट रिस्क, और 15 mmHg से ज्यादा हाई रिस्क.

इससे जुड़ी परेशानियां

टाइप-2 डायबिटीज मरीजों में अगर दोनों हाथों में 10 mmHg से ज्यादा का फर्क हो तो मौत का खतरा 64 प्रतिशत ज्यादा पाया गया. वहीं, जिन मरीजों में दोनों हाथों की BP रीडिंग में 15 mmHg से ज्यादा का फर्क था, उनमें सबक्लेवियन आर्टरी स्टेनोसिस, कम एंकल-ब्रैकियल इंडेक्स और हार्ट में ज्यादा इस्केमिया (खून की कमी) पाया गया.

सही तरह से बीपी नापना क्यों जरूरी है

नई स्टडीज़ बताती हैं कि सिर्फ हाथ का पोजीशन गलत होने से भी BP रीडिंग गलत हो सकती है. अगर हाथ नीचे लटक रहा हो या सपोर्ट न हो तो सिस्टोलिक BP औसतन 6.5 mmHg और डायस्टोलिक 4.4 mmHg तक बढ़ सकता है. सही तरीका है कि मरीज कुर्सी पर सीधे बैठे, पैर ज़मीन पर हों, पीठ को सपोर्ट हो और हाथ दिल की लेवल पर रखा जाए. अगर दोनों हाथों की BP रीडिंग में 10 mmHg या उससे ज्यादा का फर्क आ रहा है, तो डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए. हमेशा उस हाथ की रीडिंग को आधार बनाएं जिसमें BP ज्यादा है. यह दिल और ब्लड वेसल से जुड़ी बीमारियों के सही आकलन में मदद करता है.

डॉक्टर क्या कहते हैं?

डॉक्टरों का मानना है कि दोनों हाथों में ब्लड प्रेशर (BP) नापना बेहद जरूरी है. अक्सर लोग सिर्फ एक ही हाथ (आमतौर पर बायां हाथ) से BP चेक करते हैं, लेकिन मेडिकल गाइडलाइन कहती है कि पहली बार दोनों हाथों में मापना चाहिए. पटना स्थित ऑरो स्पेशिलिटी क्लीनिक की विशेषज्ञ डॉक्टर दीपा सिंह बताती हैं, "अगर दोनों हाथों की रीडिंग में 10 mmHg या उससे ज्यादा का फर्क है, तो यह परिफेरल आर्टरी डिज़ीज़, ब्लॉकेज या हार्ट डिसीज़ का संकेत हो सकता है. ऐसे में मरीज को तुरंत जांच करानी चाहिए."

ब्रिटेन की इंटरप्रेस-आईपीडी (INTERPRESS-IPD) स्टडी में डॉक्टरों ने पाया कि अगर सिर्फ लोअर BP वाले हाथ की रीडिंग को आधार बनाया जाए, तो 12 प्रतिशत मरीजों का गलत डायग्नोसिस हो सकता है. इसलिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि जिस हाथ में BP ज्यादा हो, उसी को रेफरेंस मानकर आगे मॉनिटर करना चाहिए.

इसे भी पढ़ें- ये 10 लक्षण दिखें तो समझ जाएं खून की धमनियां हो रहीं ब्लॉक, तुरंत भागें डॉक्टर के पास

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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