गुस्से में आकर आपका बच्चा अपने सिर के बाल तो नहीं खाता? जानिए कितनी खतरनाक है ये बीमारी
Child Eating Hair Symptoms: परीकथाओं में रैपुंजल के लंबे और खूबसूरत बालों की कहानी तो आपने सुनी होगी, लेकिन क्या हो अगर कोई बच्चा अपने ही बाल खा ले? सुनने में अजीब लगता है, लेकिन यह एक वास्तविक और गंभीर मेडिकल कंडीशन है, जिसे रैपुंजल सिंड्रोम कहा जाता है. यह केवल एक अजीब आदत नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी खतरनाक समस्या है, जो बच्चों और कभी-कभी बड़ों को भी प्रभावित कर सकती है. यह समस्या क्यों होती है? डॉ. मुकेश अग्रवाल के अनुसार, यह समस्या मानसिक तनाव, चिंता, गुस्सा, भावनात्मक आघात, या बचपन में हुए किसी मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण हो सकती है. कुछ मामलों में यह ऑब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर (OCD) का हिस्सा भी होता है. गुस्सा और तनाव में खुद को शांत करने के लिए बच्चे बाल खींचकर खाते हैं ध्यान की कमी, अकेलापन, या भावनात्मक उपेक्षा भी इसका कारण हो सकती है कभी-कभी यह आदत इतनी बढ़ जाती है कि बच्चा इसे रोक ही नहीं पाता ये भी पढ़े- हर सप्ताह में खा लेंगे ये चार स्नैक्स तो कभी नहीं होंगे फैटी लिवर का शिकार, हार्वर्ड के एक्सपर्ट ने बताया सेहत का राज इसके खतरे कितने गंभीर हैं? पेट दर्द और उल्टी का कारण बन सकते हैं पाचन तंत्र में रुकावट पैदा कर सकते हैं वजन घटने और कमजोरी की समस्या ला सकते हैं गंभीर मामलों में आंत फटने का खतरा होता है, जो जानलेवा हो सकता है अगर हेयरबॉल बहुत बड़ा हो जाए, तो उसे सर्जरी से निकालना पड़ सकता है लक्षण कैसे पहचानें? बार-बार सिर के बाल खींचता है बाल चबाता या निगलता है पेट दर्द, उल्टी, या भूख कम होने की शिकायत करता है अचानक वजन कम हो रहा है इलाज और रोकथाम रैपुंजल सिंड्रोम का इलाज सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी जरूरी है साइकोलॉजिकल थेरेपी: जैसे कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) काउंसलिंग: बच्चे की भावनाओं को समझना और उन्हें सही तरीके से व्यक्त करना सिखाना परिवार का सहयोग: बच्चे को प्यार, ध्यान और सुरक्षा का एहसास कराना रैपुंजल सिंड्रोम कोई मामूली आदत नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. समय रहते पहचान और सही इलाज से न केवल बच्चे की सेहत बचाई जा सकती है, बल्कि उसकी मानसिक भलाई भी सुनिश्चित की जा सकती है. माता-पिता के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों के व्यवहार में बदलाव पर ध्यान दें और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ से सलाह लें. इसे भी पढ़ें: इस देश में तेजी से बढ़ रहा चिकनगुनिया, मिले 7000 केस; जानिए इसके लक्षण Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Child Eating Hair Symptoms: परीकथाओं में रैपुंजल के लंबे और खूबसूरत बालों की कहानी तो आपने सुनी होगी, लेकिन क्या हो अगर कोई बच्चा अपने ही बाल खा ले? सुनने में अजीब लगता है, लेकिन यह एक वास्तविक और गंभीर मेडिकल कंडीशन है, जिसे रैपुंजल सिंड्रोम कहा जाता है. यह केवल एक अजीब आदत नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी खतरनाक समस्या है, जो बच्चों और कभी-कभी बड़ों को भी प्रभावित कर सकती है.
यह समस्या क्यों होती है?
डॉ. मुकेश अग्रवाल के अनुसार, यह समस्या मानसिक तनाव, चिंता, गुस्सा, भावनात्मक आघात, या बचपन में हुए किसी मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण हो सकती है. कुछ मामलों में यह ऑब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर (OCD) का हिस्सा भी होता है.
- गुस्सा और तनाव में खुद को शांत करने के लिए बच्चे बाल खींचकर खाते हैं
- ध्यान की कमी, अकेलापन, या भावनात्मक उपेक्षा भी इसका कारण हो सकती है
- कभी-कभी यह आदत इतनी बढ़ जाती है कि बच्चा इसे रोक ही नहीं पाता
इसके खतरे कितने गंभीर हैं?
- पेट दर्द और उल्टी का कारण बन सकते हैं
- पाचन तंत्र में रुकावट पैदा कर सकते हैं
- वजन घटने और कमजोरी की समस्या ला सकते हैं
- गंभीर मामलों में आंत फटने का खतरा होता है, जो जानलेवा हो सकता है
- अगर हेयरबॉल बहुत बड़ा हो जाए, तो उसे सर्जरी से निकालना पड़ सकता है
लक्षण कैसे पहचानें?
बार-बार सिर के बाल खींचता है
- बाल चबाता या निगलता है
- पेट दर्द, उल्टी, या भूख कम होने की शिकायत करता है
- अचानक वजन कम हो रहा है
इलाज और रोकथाम
- रैपुंजल सिंड्रोम का इलाज सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी जरूरी है
- साइकोलॉजिकल थेरेपी: जैसे कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT)
- काउंसलिंग: बच्चे की भावनाओं को समझना और उन्हें सही तरीके से व्यक्त करना सिखाना
- परिवार का सहयोग: बच्चे को प्यार, ध्यान और सुरक्षा का एहसास कराना
रैपुंजल सिंड्रोम कोई मामूली आदत नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. समय रहते पहचान और सही इलाज से न केवल बच्चे की सेहत बचाई जा सकती है, बल्कि उसकी मानसिक भलाई भी सुनिश्चित की जा सकती है. माता-पिता के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों के व्यवहार में बदलाव पर ध्यान दें और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें: इस देश में तेजी से बढ़ रहा चिकनगुनिया, मिले 7000 केस; जानिए इसके लक्षण
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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