क्या सच में जीएसटी कट से सस्ता हो जाएगा बीमा? नई रिपोर्ट में हुआ इंश्योरेंस कंपनियों के नए प्लान का खुलासा
GST on Health Insurance Premium: जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज के प्रीमियम पर लगने वाले 18 परसेंट जीएसटी को हटा दिया गया है. यानी कि अब हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा. इसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी. इससे लोगों को उम्मीद थी कि प्रीमियम पर 18 परसेंट जीएसटी हटने से इंश्योरेंस लेना सस्ता हो जाएगा. हालांकि, हाल ही में आई एक नई रिपोर्ट ने लोगों की इसी उम्मीद पर पानी फेर दिया है. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च की एक नई रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बीमा कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट के चलते होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अपना टैरिफ 5 परसेंट तक बढ़ाने का सोच रही है. इससे प्रीमियम कम होने के बजाय बढ़ सकती है. बढ़े हुए खर्च को बैलेंस करेंगी कंपनियां रिपोर्ट में बताया गया है कि टैरिफ बढ़ाने से कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी. बता दें कि पहले बीमा कंपनियां एजेंट्स के कमीशन, रीइंश्योरेंस और विज्ञापनों पर होने वाले अपने ऑपरेश्नल कॉस्ट पर मिलने इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ उठाती थीं. अब जीएसटी के हट जाने से कंपनियां ITC क्लेम नहीं कर पाएंगी. इससे उनका खर्च बढ़ेगा, जिसे बैलेंस करने के लिए उन्हें टैरिफ का सहारा लेना पड़ेगा. यानी कि पॉलिसी की दरें बढ़ाई जाएंगी. आपको बता दें कि जीएसटी सिस्टम में बीमा कंपनियों को एक विशेष सुविधा दी जाती है. इसके तहत ऑपरेशन पर होने वाले खर्च पर जो टैक्स दिया जाता है, उसे ग्राहकों से लिए गए जीएसटी से घटाया जा सकता था. इसके बाद जो टैक्स बचता था, वही सरकार को जमा कराना पड़ता था. यानी कि ITC के चलते कंपनियों पर टैक्स का ज्यादा बोझ नहीं पड़ता था, लेकिन पर जीएसटी ही नहीं रहेगी तो टैक्स का हिसाब कैसे बैलेंस होगा. इसी को बैलेंस करने के लिए कंपनियां प्रीमियम की दरें बढ़ा सकती है ताकि उन्हें नुकसान कम हो या न हो. पॉलिसी लेने वालों की बढ़ेगी डिमांड हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जीएसटी रेट कट के साथ इंश्योरेंस प्रीमियम 12-15 परसेंट तक सस्ता होने से इसकी डिमांड बढ़ेगी. हालांकि, प्रीमियम बढ़ने से जीएसटी में राहत का क्या ही फायदा मिलेगा! इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट 22 सितंबर, 2025 से लागू होने वाला है. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी की रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी पर छूट और ITC बेनिफिट खत्म होने के बाद स्टार हेल्थ अपने टैरिफ में 1-3 परसेंट की बढ़ोतरी कर सकता है. दूसरी ओर, निवा बूपा इसमें लगभग 4 परसेंट तक का इजाफा कर सकता है. इस तरह से पॉलिसीहोल्डर्स को बीमा पॉलिसी पर जीएसटी रेट कट का असर नहीं के बराबर दिखेगा. ये भी पढ़ें: ट्रंप के टैरिफ का देश की जीडीपी पर दिखेगा असर, जानें इस साल कितना होगा नुकसान?

GST on Health Insurance Premium: जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज के प्रीमियम पर लगने वाले 18 परसेंट जीएसटी को हटा दिया गया है. यानी कि अब हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा. इसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी. इससे लोगों को उम्मीद थी कि प्रीमियम पर 18 परसेंट जीएसटी हटने से इंश्योरेंस लेना सस्ता हो जाएगा.
हालांकि, हाल ही में आई एक नई रिपोर्ट ने लोगों की इसी उम्मीद पर पानी फेर दिया है. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च की एक नई रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बीमा कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट के चलते होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अपना टैरिफ 5 परसेंट तक बढ़ाने का सोच रही है. इससे प्रीमियम कम होने के बजाय बढ़ सकती है.
बढ़े हुए खर्च को बैलेंस करेंगी कंपनियां
रिपोर्ट में बताया गया है कि टैरिफ बढ़ाने से कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी. बता दें कि पहले बीमा कंपनियां एजेंट्स के कमीशन, रीइंश्योरेंस और विज्ञापनों पर होने वाले अपने ऑपरेश्नल कॉस्ट पर मिलने इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ उठाती थीं. अब जीएसटी के हट जाने से कंपनियां ITC क्लेम नहीं कर पाएंगी. इससे उनका खर्च बढ़ेगा, जिसे बैलेंस करने के लिए उन्हें टैरिफ का सहारा लेना पड़ेगा. यानी कि पॉलिसी की दरें बढ़ाई जाएंगी.
आपको बता दें कि जीएसटी सिस्टम में बीमा कंपनियों को एक विशेष सुविधा दी जाती है. इसके तहत ऑपरेशन पर होने वाले खर्च पर जो टैक्स दिया जाता है, उसे ग्राहकों से लिए गए जीएसटी से घटाया जा सकता था. इसके बाद जो टैक्स बचता था, वही सरकार को जमा कराना पड़ता था. यानी कि ITC के चलते कंपनियों पर टैक्स का ज्यादा बोझ नहीं पड़ता था, लेकिन पर जीएसटी ही नहीं रहेगी तो टैक्स का हिसाब कैसे बैलेंस होगा. इसी को बैलेंस करने के लिए कंपनियां प्रीमियम की दरें बढ़ा सकती है ताकि उन्हें नुकसान कम हो या न हो.
पॉलिसी लेने वालों की बढ़ेगी डिमांड
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जीएसटी रेट कट के साथ इंश्योरेंस प्रीमियम 12-15 परसेंट तक सस्ता होने से इसकी डिमांड बढ़ेगी. हालांकि, प्रीमियम बढ़ने से जीएसटी में राहत का क्या ही फायदा मिलेगा! इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट 22 सितंबर, 2025 से लागू होने वाला है.
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी की रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी पर छूट और ITC बेनिफिट खत्म होने के बाद स्टार हेल्थ अपने टैरिफ में 1-3 परसेंट की बढ़ोतरी कर सकता है. दूसरी ओर, निवा बूपा इसमें लगभग 4 परसेंट तक का इजाफा कर सकता है. इस तरह से पॉलिसीहोल्डर्स को बीमा पॉलिसी पर जीएसटी रेट कट का असर नहीं के बराबर दिखेगा.
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