क्या आपको पता है SMS में लिखे S, G, P और T का असली मतलब? जानें कैसे पहचानें कौन सा मैसेज फ्रॉड है

SMS: आज के डिजिटल दौर में ठगी के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. स्कैमर्स आए दिन फर्जी मैसेज भेजकर लोगों को जाल में फँसाने की कोशिश करते हैं. अक्सर ये मैसेज बैंकों, ई-कॉमर्स कंपनियों, टेलीकॉम ऑपरेटर्स या सरकारी संस्थानों के नाम से आते हैं. इनमें दिए गए लिंक पर क्लिक करते ही आपके मोबाइल में मैलवेयर इंस्टॉल हो सकता है जिससे व्यक्तिगत डेटा चोरी हो जाता है और अपराधी इसका इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए करते हैं. असली और नकली मैसेज की पहचान कैसे करें? भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने प्रमोशनल कॉल्स और मैसेज पर सख्ती बरती है. अब असली कंपनियों और संस्थाओं को अपने सेंडर आईडी (Sender ID) के लिए एक तय फॉर्मेट का इस्तेमाल करना होता है. असली सेंडर आईडी आमतौर पर 6 अक्षरों की होती है और इसके बाद हाइफ़न (-) और एक अक्षर (S, G, P, T) जुड़ा होता है. उदाहरण: HDFCBK-S या MYGOVT-G. यह अक्षर बताता है कि मैसेज किस प्रकार का है. S, G, P और T का मतलब S (Service): यह सर्विस से जुड़े मैसेज होते हैं. जैसे बैंक से ट्रांज़ैक्शन अलर्ट, OTP, या ई-कॉमर्स साइट से ऑर्डर कन्फर्मेशन. G (Government): सरकारी विभागों द्वारा भेजे गए मैसेज, जैसे अलर्ट, जनहित संदेश या सरकारी योजनाओं की जानकारी. P (Promotional): प्रमोशनल या विज्ञापन वाले मैसेज, जैसे ऑफर, डिस्काउंट या मार्केटिंग कैंपेन. ये सिर्फ उन्हीं यूज़र्स को भेजे जाते हैं जो DND (Do Not Disturb) लिस्ट में नहीं हैं. T (Transactional): ज़रूरी और समय-संवेदनशील मैसेज, जैसे OTP या अन्य महत्वपूर्ण नोटिफिकेशन. सतर्क रहें अगर आपको किसी साधारण 10-अंकों वाले मोबाइल नंबर से बैंक या सरकार के नाम पर मैसेज आता है, तो समझ लीजिए कि वह नकली है. असली संस्थाएं कभी भी पर्सनल नंबर से मैसेज नहीं भेजतीं. इसलिए अगली बार जब भी आपके पास कोई मैसेज आए, तो उसमें लिखे S, G, P या T को ज़रूर देखें. यह छोटा-सा संकेत आपको बड़े फ्रॉड से बचा सकता है. यह भी पढ़ें: AI से सवाल पर्यावरण पर बोझ! छोड़ रहा 50 गुना ज़्यादा CO₂, रिपोर्ट ने कर दिया सबको हैरान

Aug 30, 2025 - 15:30
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क्या आपको पता है SMS में लिखे S, G, P और T का असली मतलब? जानें कैसे पहचानें कौन सा मैसेज फ्रॉड है

SMS: आज के डिजिटल दौर में ठगी के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. स्कैमर्स आए दिन फर्जी मैसेज भेजकर लोगों को जाल में फँसाने की कोशिश करते हैं. अक्सर ये मैसेज बैंकों, ई-कॉमर्स कंपनियों, टेलीकॉम ऑपरेटर्स या सरकारी संस्थानों के नाम से आते हैं. इनमें दिए गए लिंक पर क्लिक करते ही आपके मोबाइल में मैलवेयर इंस्टॉल हो सकता है जिससे व्यक्तिगत डेटा चोरी हो जाता है और अपराधी इसका इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए करते हैं.

असली और नकली मैसेज की पहचान कैसे करें?

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने प्रमोशनल कॉल्स और मैसेज पर सख्ती बरती है. अब असली कंपनियों और संस्थाओं को अपने सेंडर आईडी (Sender ID) के लिए एक तय फॉर्मेट का इस्तेमाल करना होता है. असली सेंडर आईडी आमतौर पर 6 अक्षरों की होती है और इसके बाद हाइफ़न (-) और एक अक्षर (S, G, P, T) जुड़ा होता है. उदाहरण: HDFCBK-S या MYGOVT-G. यह अक्षर बताता है कि मैसेज किस प्रकार का है.

S, G, P और T का मतलब

S (Service): यह सर्विस से जुड़े मैसेज होते हैं. जैसे बैंक से ट्रांज़ैक्शन अलर्ट, OTP, या ई-कॉमर्स साइट से ऑर्डर कन्फर्मेशन.

G (Government): सरकारी विभागों द्वारा भेजे गए मैसेज, जैसे अलर्ट, जनहित संदेश या सरकारी योजनाओं की जानकारी.

P (Promotional): प्रमोशनल या विज्ञापन वाले मैसेज, जैसे ऑफर, डिस्काउंट या मार्केटिंग कैंपेन. ये सिर्फ उन्हीं यूज़र्स को भेजे जाते हैं जो DND (Do Not Disturb) लिस्ट में नहीं हैं.

T (Transactional): ज़रूरी और समय-संवेदनशील मैसेज, जैसे OTP या अन्य महत्वपूर्ण नोटिफिकेशन.

सतर्क रहें

अगर आपको किसी साधारण 10-अंकों वाले मोबाइल नंबर से बैंक या सरकार के नाम पर मैसेज आता है, तो समझ लीजिए कि वह नकली है. असली संस्थाएं कभी भी पर्सनल नंबर से मैसेज नहीं भेजतीं. इसलिए अगली बार जब भी आपके पास कोई मैसेज आए, तो उसमें लिखे S, G, P या T को ज़रूर देखें. यह छोटा-सा संकेत आपको बड़े फ्रॉड से बचा सकता है.

यह भी पढ़ें:

AI से सवाल पर्यावरण पर बोझ! छोड़ रहा 50 गुना ज़्यादा CO₂, रिपोर्ट ने कर दिया सबको हैरान

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