किस उम्र में शिकार बनाने लगता है कैंसर, जान बचाने के लिए कब कराने चाहिए टेस्ट?

कैंसर आज दुनिया की सबसे डेंजर बीमारियों में से एक है. यह धीरे-धीरे बॉडी में ग्रो करता है और स्टार्टिंग स्टेज पर अक्सर साफ प्रॉब्लम समझ नहीं आती. यही वजह है कि ज्यादातर लोग तब तक डॉक्टर तक नहीं पहुंचते, जब तक डिजीज सीरियस स्टेज तक न पहुंच जाए. लेकिन अगर राइट टाइम पर टेस्ट करा लिए जाएं, तो कैंसर को स्टार्टिंग स्टेज में ही कंट्रोल किया जा सकता है. सवाल ये है कि आखिर किस एज से कैंसर का रिस्क बढ़ने लगता है और कब टेस्ट कराना जरूरी है? किस एज से बढ़ता है रिस्क? डॉक्टर्स के अनुसार कैंसर का खतरा एज के साथ बढ़ता है. 30 साल तक: रेयर केस में ही कैंसर होता है. लेकिन फैमिली हिस्ट्री हो तो रिस्क ज्यादा होता है. 40 साल के बाद: इस उम्र में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर का रिस्क बढ़ने लगता है. 50 साल से ऊपर: मोस्ट केस इसी एज ग्रुप में रिपोर्ट होते हैं. लंग, लिवर, कोलन और ब्लड कैंसर के चांस ज्यादा रहते हैं. क्यों जरूरी है टाइम पर टेस्ट? कैंसर की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही है कि यह धीरे-धीरे बॉडी में फैलता है और लेट स्टेज तक पकड़ में नहीं आता. अगर अर्ली स्टेज पर डायग्नोज हो जाए तो इलाज 70–80 प्रतिशत केस में सक्सेसफुल हो जाता है. लेट पता चलने पर इलाज टफ और कॉस्टली दोनों हो जाता है. रेग्युलर स्क्रीनिंग से टाइम रहते डिजीज पकड़ में आ जाती है और जान बच सकती है. कौन-कौन से टेस्ट कराने चाहिए? ब्रेस्ट कैंसर: वीमेन को 40 की उम्र के बाद हर 1–2 साल में मैमोग्राफी करानी चाहिए. सर्वाइकल कैंसर: 30 सास से ज्यादा उम्र की वीमेन को हर 3 साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए. कोलन कैंसर: 45 के बाद मेन और वीमेन दोनों को कोलोनोस्कोपी जरूरी है. प्रोस्टेट कैंसर: मेन को 50 के बाद पीएसए ब्लड टेस्ट कराना चाहिए. लंग कैंसर: स्मोकिंग करने वालों को 40–45 के बाद लो-डोज सीटी स्कैन कराना चाहिए. बचाव के आसान टिप्स स्मोकिंग और अल्कोहल से दूर रहें. हेल्दी डाइट लें – ग्रीन सब्जी, फ्रूट्स और होल ग्रेन्स शामिल करें. डेली एक्सरसाइज और योग करें. वेट कंट्रोल में रखें और प्रॉपर स्लीप लें. हर साल रेग्युलर हेल्थ चेकअप जरूर कराएं. क्या कहते हैं डॉक्टर? एम्स झज्जर के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नवीन कुमार बताते हैं कि कैंसर किसी भी एज में हो सकता है, लेकिन 40 के बाद रिस्क ज्यादा बढ़ जाता है. इसी वजह से 40–45 के बाद हर इंसान को जरूरी स्क्रीनिंग टेस्ट्स कराते रहना चाहिए. अर्ली डिटेक्ट और हेल्दी लाइफस्टाइल से इस डेंजर डिजीज से बचाव पॉसिबल है. अगर सही टाइम पर प्रॉब्लम पकड़ ली जाए तो इलाज आसान और कम खर्चीला होता है. इसे भी पढ़ें- आपका खून कभी नहीं होगा गंदा, रोजाना खा लें ये हरी पत्तियां Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Sep 2, 2025 - 15:30
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किस उम्र में शिकार बनाने लगता है कैंसर, जान बचाने के लिए कब कराने चाहिए टेस्ट?

कैंसर आज दुनिया की सबसे डेंजर बीमारियों में से एक है. यह धीरे-धीरे बॉडी में ग्रो करता है और स्टार्टिंग स्टेज पर अक्सर साफ प्रॉब्लम समझ नहीं आती. यही वजह है कि ज्यादातर लोग तब तक डॉक्टर तक नहीं पहुंचते, जब तक डिजीज सीरियस स्टेज तक न पहुंच जाए. लेकिन अगर राइट टाइम पर टेस्ट करा लिए जाएं, तो कैंसर को स्टार्टिंग स्टेज में ही कंट्रोल किया जा सकता है. सवाल ये है कि आखिर किस एज से कैंसर का रिस्क बढ़ने लगता है और कब टेस्ट कराना जरूरी है?

किस एज से बढ़ता है रिस्क?

डॉक्टर्स के अनुसार कैंसर का खतरा एज के साथ बढ़ता है.

  • 30 साल तक: रेयर केस में ही कैंसर होता है. लेकिन फैमिली हिस्ट्री हो तो रिस्क ज्यादा होता है.
  • 40 साल के बाद: इस उम्र में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर का रिस्क बढ़ने लगता है.
  • 50 साल से ऊपर: मोस्ट केस इसी एज ग्रुप में रिपोर्ट होते हैं. लंग, लिवर, कोलन और ब्लड कैंसर के चांस ज्यादा रहते हैं.

क्यों जरूरी है टाइम पर टेस्ट?

  • कैंसर की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही है कि यह धीरे-धीरे बॉडी में फैलता है और लेट स्टेज तक पकड़ में नहीं आता.
  • अगर अर्ली स्टेज पर डायग्नोज हो जाए तो इलाज 70–80 प्रतिशत केस में सक्सेसफुल हो जाता है.
  • लेट पता चलने पर इलाज टफ और कॉस्टली दोनों हो जाता है.
  • रेग्युलर स्क्रीनिंग से टाइम रहते डिजीज पकड़ में आ जाती है और जान बच सकती है.

कौन-कौन से टेस्ट कराने चाहिए?

  • ब्रेस्ट कैंसर: वीमेन को 40 की उम्र के बाद हर 1–2 साल में मैमोग्राफी करानी चाहिए.
  • सर्वाइकल कैंसर: 30 सास से ज्यादा उम्र की वीमेन को हर 3 साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए.
  • कोलन कैंसर: 45 के बाद मेन और वीमेन दोनों को कोलोनोस्कोपी जरूरी है.
  • प्रोस्टेट कैंसर: मेन को 50 के बाद पीएसए ब्लड टेस्ट कराना चाहिए.
  • लंग कैंसर: स्मोकिंग करने वालों को 40–45 के बाद लो-डोज सीटी स्कैन कराना चाहिए.

बचाव के आसान टिप्स

  • स्मोकिंग और अल्कोहल से दूर रहें.
  • हेल्दी डाइट लें – ग्रीन सब्जी, फ्रूट्स और होल ग्रेन्स शामिल करें.
  • डेली एक्सरसाइज और योग करें.
  • वेट कंट्रोल में रखें और प्रॉपर स्लीप लें.
  • हर साल रेग्युलर हेल्थ चेकअप जरूर कराएं.

क्या कहते हैं डॉक्टर?

एम्स झज्जर के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नवीन कुमार बताते हैं कि कैंसर किसी भी एज में हो सकता है, लेकिन 40 के बाद रिस्क ज्यादा बढ़ जाता है. इसी वजह से 40–45 के बाद हर इंसान को जरूरी स्क्रीनिंग टेस्ट्स कराते रहना चाहिए. अर्ली डिटेक्ट और हेल्दी लाइफस्टाइल से इस डेंजर डिजीज से बचाव पॉसिबल है. अगर सही टाइम पर प्रॉब्लम पकड़ ली जाए तो इलाज आसान और कम खर्चीला होता है.

इसे भी पढ़ें- आपका खून कभी नहीं होगा गंदा, रोजाना खा लें ये हरी पत्तियां

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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