'आजकल T20 में सफल होने के बाद मिलता है टेस्ट टीम में मौका...', संन्यास के बाद ऐसा क्यों बोले चेतेश्वर पुजारा

भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 103 टेस्ट और 5 वनडे खेल चुके चेतेश्वर पुजारा ने रविवार, 24 अगस्त को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा की. क्रिकेट जगत ने उन्हें सफल करियर के लिए बधाई दी. इसके बाद उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि आजकल टी20 में सफल होने के बाद प्लेयर को टेस्ट टीम में जगह मिलती है. उन्होंने इसमें ये भी बताया कि वह मैदान पर खुद को शांत कैसे रखते थे. चेतेश्वर पुजारा को कब लगा कि वह अपनी पूरी क्षमता के साथ कल रहे हैं. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा, "एक समय श्रीलंका में, जब निर्णायक मैच में मैंने हरी पिच पर 145 रन बनाए थे. 123 रनों की पारी के समय, जो उन्होंने एडिलेड में खेली और हां ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 82 रनों की वो नॉट आउट पारी के समय, जब दिल्ली में मैंने टूटी हुई उंगली के साथ बल्लेबाजी की." इसी इंटरव्यू में चेतेश्वर पुजारा से पूछा गया कि आपके शरीर पर कई चोटें आईं, खासकर 2021 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर. इस पर पुजारा ने कहा, "ऐसे समय में आपको बड़ा दृश्टिकोण रखना जरुरी है. आपको करोड़ो लोग देख रहे हैं, आप अपने देश के लिए बल्लेबाजी कर रहे हैं और पूरा देश जीत की प्रार्थना कर रहे हैं. जब आपके शरीर पर चोट लगती है, कभी कभी आप टूट जाते हो लेकिन धैर्य बनाए रखना होता है. जब कई बार एक ही जगह पर चोट लगती है तो दर्द असहनीय हो जाता है, यहीं पर मानसिक ढृढ़ता काम आती है. यहीं पर आपका देश प्रेम और समर्पण उभरकर आता है. मैं भगवान में विश्वास करता हूं जो मुझे शक्ति देते हैं. क्या आज बल्लेबाज कम धैर्यवान हो गए हैं? चेतेश्वर पुजारा ने इसके जवाब में कहा, "आजकल खेल में काफी कुछ बदल गया है. आधुनिक क्रिकेटर के तौर तरीके देखें तो वह पहले टी20 क्रिकेट खेलते हैं और फिर सफल होने के बाद टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं. ऐसा सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में होता है क्योंकि ये सबसे अधिक प्रसिद्ध फॉर्मेट है. यह बुरा नहीं है, क्योंकि खिलाड़ियों को तीनों फॉर्मेट में खेलना चाहिए. वह अगर वाइट बॉल क्रिकेट से आ रहे हैं तो उनका सबसे अच्छा खेल पहले आक्रामक और फिर रक्षात्मक होना है. इसमें कुछ गलत नहीं है क्योंकि मुझे लगता है कि खेल बदल रहा है और ऐसा ही होगा. लेकिन आक्रामक और रक्षात्मक खेल के बीच संतुलन बनाने का तरीका देखना होगा, आपको मानना होगा कि आधुनिक क्रिकेट ऐसा ही है."

Aug 25, 2025 - 17:30
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'आजकल T20 में सफल होने के बाद मिलता है टेस्ट टीम में मौका...', संन्यास के बाद ऐसा क्यों बोले चेतेश्वर पुजारा

भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 103 टेस्ट और 5 वनडे खेल चुके चेतेश्वर पुजारा ने रविवार, 24 अगस्त को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा की. क्रिकेट जगत ने उन्हें सफल करियर के लिए बधाई दी. इसके बाद उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि आजकल टी20 में सफल होने के बाद प्लेयर को टेस्ट टीम में जगह मिलती है. उन्होंने इसमें ये भी बताया कि वह मैदान पर खुद को शांत कैसे रखते थे.

चेतेश्वर पुजारा को कब लगा कि वह अपनी पूरी क्षमता के साथ कल रहे हैं. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा, "एक समय श्रीलंका में, जब निर्णायक मैच में मैंने हरी पिच पर 145 रन बनाए थे. 123 रनों की पारी के समय, जो उन्होंने एडिलेड में खेली और हां ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 82 रनों की वो नॉट आउट पारी के समय, जब दिल्ली में मैंने टूटी हुई उंगली के साथ बल्लेबाजी की."

इसी इंटरव्यू में चेतेश्वर पुजारा से पूछा गया कि आपके शरीर पर कई चोटें आईं, खासकर 2021 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर. इस पर पुजारा ने कहा, "ऐसे समय में आपको बड़ा दृश्टिकोण रखना जरुरी है. आपको करोड़ो लोग देख रहे हैं, आप अपने देश के लिए बल्लेबाजी कर रहे हैं और पूरा देश जीत की प्रार्थना कर रहे हैं. जब आपके शरीर पर चोट लगती है, कभी कभी आप टूट जाते हो लेकिन धैर्य बनाए रखना होता है. जब कई बार एक ही जगह पर चोट लगती है तो दर्द असहनीय हो जाता है, यहीं पर मानसिक ढृढ़ता काम आती है. यहीं पर आपका देश प्रेम और समर्पण उभरकर आता है. मैं भगवान में विश्वास करता हूं जो मुझे शक्ति देते हैं.

क्या आज बल्लेबाज कम धैर्यवान हो गए हैं?

चेतेश्वर पुजारा ने इसके जवाब में कहा, "आजकल खेल में काफी कुछ बदल गया है. आधुनिक क्रिकेटर के तौर तरीके देखें तो वह पहले टी20 क्रिकेट खेलते हैं और फिर सफल होने के बाद टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं. ऐसा सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में होता है क्योंकि ये सबसे अधिक प्रसिद्ध फॉर्मेट है. यह बुरा नहीं है, क्योंकि खिलाड़ियों को तीनों फॉर्मेट में खेलना चाहिए. वह अगर वाइट बॉल क्रिकेट से आ रहे हैं तो उनका सबसे अच्छा खेल पहले आक्रामक और फिर रक्षात्मक होना है. इसमें कुछ गलत नहीं है क्योंकि मुझे लगता है कि खेल बदल रहा है और ऐसा ही होगा. लेकिन आक्रामक और रक्षात्मक खेल के बीच संतुलन बनाने का तरीका देखना होगा, आपको मानना होगा कि आधुनिक क्रिकेट ऐसा ही है."

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