अब इस प्लान से भारत निकालेगा भारी भरकम यूएस टैरिफ की हवा, तैयार हुआ मिशन, जानें डिटेल्स

India Plan To Counter US Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर पहले से लागू 25 प्रतिशत बेस टैरिफ के बाद रूस से सस्ता तेल खरीदने पर पेनल्टी के रूप में अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. साथ ही, अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी ने चेतावनी दी है कि अगर 15 अगस्त को अमेरिका और रूस के बीच होने वाली बातचीत बेनतीजा रही, तो भारत पर यह पेनल्टी और बढ़ाई जा सकती है. क्या है भारत का प्लान? इस घोषणा ने भारतीय निर्यातकों के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है. अर्थव्यवस्था और व्यापार के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टैरिफ का बोझ इसी तरह बढ़ता रहा, तो भारत की जीडीपी ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. मूडीज़ की रिपोर्ट के अनुसार, इससे ‘मेक इन इंडिया’ अभियान और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को गहरा झटका लग सकता है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार सक्रिय हो गई है. बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 25,000 करोड़ रुपये की एक समर्थन योजना तैयार की है, जो छह साल की अवधि में लागू होगी. यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा जा चुका है और मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट की स्वीकृति के लिए रखा जाएगा. नई स्कीम में क्या होगा? नई योजना के तहत छोटे निर्यातकों को कोलैटरल-फ्री लोन की सुविधा दी जाएगी. इसके अलावा, उच्च जोखिम वाले बाज़ारों में निर्यात करने वालों को विशेष सहायता मिलेगी और क्रॉस-बॉर्डर फैक्टरिंग जैसे वैकल्पिक वित्तीय साधनों को भी बढ़ावा दिया जाएगा. निर्यातकों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि अमेरिकी टैरिफ के असर को कम किया जा सके और भारत के निर्यात को सुरक्षित रखा जा सके. ये भी पढ़ें: अमेरिका-रुस बैठक भी नहीं भर पाया रुपये में जोश, डॉलर के मुकाबले फिर हुआ धराशायी, जानें कितना टूटा

Aug 14, 2025 - 13:30
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अब इस प्लान से भारत निकालेगा भारी भरकम यूएस टैरिफ की हवा, तैयार हुआ मिशन, जानें डिटेल्स

India Plan To Counter US Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर पहले से लागू 25 प्रतिशत बेस टैरिफ के बाद रूस से सस्ता तेल खरीदने पर पेनल्टी के रूप में अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. साथ ही, अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी ने चेतावनी दी है कि अगर 15 अगस्त को अमेरिका और रूस के बीच होने वाली बातचीत बेनतीजा रही, तो भारत पर यह पेनल्टी और बढ़ाई जा सकती है.

क्या है भारत का प्लान?

इस घोषणा ने भारतीय निर्यातकों के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है. अर्थव्यवस्था और व्यापार के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टैरिफ का बोझ इसी तरह बढ़ता रहा, तो भारत की जीडीपी ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. मूडीज़ की रिपोर्ट के अनुसार, इससे ‘मेक इन इंडिया’ अभियान और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को गहरा झटका लग सकता है.

इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार सक्रिय हो गई है. बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 25,000 करोड़ रुपये की एक समर्थन योजना तैयार की है, जो छह साल की अवधि में लागू होगी. यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा जा चुका है और मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट की स्वीकृति के लिए रखा जाएगा.

नई स्कीम में क्या होगा?

नई योजना के तहत छोटे निर्यातकों को कोलैटरल-फ्री लोन की सुविधा दी जाएगी. इसके अलावा, उच्च जोखिम वाले बाज़ारों में निर्यात करने वालों को विशेष सहायता मिलेगी और क्रॉस-बॉर्डर फैक्टरिंग जैसे वैकल्पिक वित्तीय साधनों को भी बढ़ावा दिया जाएगा. निर्यातकों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि अमेरिकी टैरिफ के असर को कम किया जा सके और भारत के निर्यात को सुरक्षित रखा जा सके.

ये भी पढ़ें: अमेरिका-रुस बैठक भी नहीं भर पाया रुपये में जोश, डॉलर के मुकाबले फिर हुआ धराशायी, जानें कितना टूटा

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