'अपराध नहीं प्यार करना...', सुप्रीम कोर्ट ने POCSO एक्ट को लेकर जाहिर की चिंता, जानें क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (19 अगस्त) को कहा कि प्यार करना अपराध नहीं है. इसे किसी भी तरह से अपराध नहीं बनाया जा सकता है. अदालत ने कहा कि अगर कोई युवा लड़का और लड़की प्रेम में हैं और उनकी उम्र बालिग होने से कुछ कम है तो अकेला छोड़ देना चाहिए. अदालत ने एक केस की सुनवाई के दौरान इन बातों का जिक्र किया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र से जुड़े एक अहम मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि इस प्रकरण में आयोग पक्षकार नहीं था, इसलिए उसे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है. क्या है पूरा मामला 2022 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में 21 वर्षीय मुस्लिम युवक और 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की के प्रेम विवाह को मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत वैध माना था. यह मामला तब अदालत में पहुंचा था जब विवाहित जोड़े ने अपनी सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने जोड़े को सुरक्षा प्रदान करते हुए उनके विवाह को मान्यता दी थी. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एनसीपीसीआर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले को लेकर अदालत ने दिखाई सख्ती सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना की अगुवाई वाली बेंच ने मंगलवार को आयोग से सख्त लहजे में पूछा कि एनसीपीसीआर का इस मामले से क्या लेना-देना है? जब दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की है और हाईकोर्ट ने उन्हें सुरक्षा दी है, तो आयोग इस आदेश को कैसे चुनौती दे सकता है?  जस्टिस नागरत्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर दो बच्चों को हाईकोर्ट संरक्षण देता है तो एनसीपीसीआर यह नहीं कह सकता कि उन्हें सुरक्षा न दी जाए. आयोग के पास इस आदेश को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं है. एनसीपीसीआर के वकील ने क्या दी दलील एनसीपीसीआर के वकील ने अपनी दलील में कहा कि वे कानून का सवाल उठा रहे थे कि क्या 18 साल से कम उम्र की लड़की को सिर्फ पर्सनल लॉ के आधार पर कानूनी तौर पर शादी करने की योग्यता रखने वाला माना जा सकता है. हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में कानून का कोई सवाल ही नहीं उठता. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की ओर से दायर अर्जी को भी खारिज कर दिया. POCSO को लेकर क्या दी प्रतिक्रिया अदालत ने POCSO को लेकर कहा कि यह कानून बच्चों को यौन शोषण से बचाने का अहम साधन है, लेकिन फिर भी सच्चे रिश्ते और आपराधिक व्यवहार वाले रिश्तों में अंतर करना जरूरी है. जस्टिस नागरत्ना ने सवाल किया क्या प्यार करना अपराध माना जा सकता है. इनपुट - आईएएनएस

Aug 20, 2025 - 08:30
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'अपराध नहीं प्यार करना...', सुप्रीम कोर्ट ने POCSO एक्ट को लेकर जाहिर की चिंता, जानें क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (19 अगस्त) को कहा कि प्यार करना अपराध नहीं है. इसे किसी भी तरह से अपराध नहीं बनाया जा सकता है. अदालत ने कहा कि अगर कोई युवा लड़का और लड़की प्रेम में हैं और उनकी उम्र बालिग होने से कुछ कम है तो अकेला छोड़ देना चाहिए. अदालत ने एक केस की सुनवाई के दौरान इन बातों का जिक्र किया.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र से जुड़े एक अहम मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि इस प्रकरण में आयोग पक्षकार नहीं था, इसलिए उसे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है.

क्या है पूरा मामला

2022 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में 21 वर्षीय मुस्लिम युवक और 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की के प्रेम विवाह को मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत वैध माना था. यह मामला तब अदालत में पहुंचा था जब विवाहित जोड़े ने अपनी सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने जोड़े को सुरक्षा प्रदान करते हुए उनके विवाह को मान्यता दी थी. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एनसीपीसीआर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

मामले को लेकर अदालत ने दिखाई सख्ती

सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना की अगुवाई वाली बेंच ने मंगलवार को आयोग से सख्त लहजे में पूछा कि एनसीपीसीआर का इस मामले से क्या लेना-देना है? जब दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की है और हाईकोर्ट ने उन्हें सुरक्षा दी है, तो आयोग इस आदेश को कैसे चुनौती दे सकता है? 

जस्टिस नागरत्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर दो बच्चों को हाईकोर्ट संरक्षण देता है तो एनसीपीसीआर यह नहीं कह सकता कि उन्हें सुरक्षा न दी जाए. आयोग के पास इस आदेश को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं है.

एनसीपीसीआर के वकील ने क्या दी दलील

एनसीपीसीआर के वकील ने अपनी दलील में कहा कि वे कानून का सवाल उठा रहे थे कि क्या 18 साल से कम उम्र की लड़की को सिर्फ पर्सनल लॉ के आधार पर कानूनी तौर पर शादी करने की योग्यता रखने वाला माना जा सकता है. हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में कानून का कोई सवाल ही नहीं उठता. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की ओर से दायर अर्जी को भी खारिज कर दिया.

POCSO को लेकर क्या दी प्रतिक्रिया

अदालत ने POCSO को लेकर कहा कि यह कानून बच्चों को यौन शोषण से बचाने का अहम साधन है, लेकिन फिर भी सच्चे रिश्ते और आपराधिक व्यवहार वाले रिश्तों में अंतर करना जरूरी है. जस्टिस नागरत्ना ने सवाल किया क्या प्यार करना अपराध माना जा सकता है.

इनपुट - आईएएनएस

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